Wednesday, December 4, 2019

इस दिल ने तुम्हें रब माना है

सहज-योग दायिनी निर्मल माँ
इस दिल ने तुम्हें रब माना है..
कण-कण में समाई हो माता
तुम बिन यह जग वीराना है।...
      सहज-योग दायिनी...

अज्ञान की आंधी बुझा न दे
सहज-ज्ञान की दीपक बाती को..
मेरे मन के कागज़ पर लिख दो
माँ सहज की एक-एक पाती को।...
मैंने सहज-योग के बन्धन में
तन-मन-धन से बंध जाना है...
     सहज-योग दायिनी....

अवगुणों की अग्नि जला न दे
मेरे आत्मोत्थान की शक्ति को..
माँ ऐसी अविरल कृपा करो
पा जाऊँ तुम्हारी भक्ति को।...
निर्मल-भक्ति की राह पकड़
भव-सागर से तर जाना है...
      सहज-योग दायिनी...

अभिमान हृदय से मिटा न दे
दिन-रात की निर्मल-सुमिरन को..
माँ के चिंतन में लीन रहूँ
निर्लिप्त करूँ इस तन-मन को।...
निर्मल-पथ पर बढ़ चले कदम
अब मोक्ष-द्वार तक जाना है...
     सहज-योग दायिनी...

सहज-योग दायिनी निर्मल माँ
इस दिल ने तुम्हें रब माना है...

गंगा मैय्या में जब तक ये पानी रहे

मैय्या... हे निर्मल मैय्या...
मैय्या... हे निर्मल मैय्या...

गंगा मैय्या में जब तक ये पानी रहे..
निर्मल माता तेरी जिंदगानी रहे...
जिंदगानी रहे...
     मैय्या... हे निर्मल मैय्या...

दिल में भक्ति का दीपक जलाकर...
सहज-ज्योति को मन में बसाकर...
आऐ हम तेरे द्वार
लिए श्रद्धा का हार...
सबके होठों पे माँ की कहानी रहे...
जिंदगानी रहे...
     मैय्या... हे निर्मल मैय्या...

छिपी सबके हृदय में हो माता...
तुमरे बिन कुछ न हमको सुहाता...
तुम हो जीवन की आस
तुम हो मन का विश्वास ...
सबके मन में बसी निर्मल-वाणी रहे...
जिंदगानी रहे...
     मैय्या... हे निर्मल मैय्या...

अपने आंचल में हमको छिपालो...
पावन चरणों में हमको बसालो...
तुम हो दाता महान
देदो भक्ति का दान...
तेरी भक्ति में माँ हर एक प्राणी रहे...
जिंदगानी रहे...
     मैय्या... हे निर्मल मैय्या...

गंगा मैय्या में जब तक ये पानी रहे...
निर्मल माता तेरी जिंदगानी रहे...
जिंदगानी रहे...
     मैय्या... हे निर्मल मैय्या... 

माँ के लाडले गणेश

माँ के लाडले गणेश  प्यारे प्यारे
माँ निर्मल जी की आंखों के तारे,
तुम मन-आंगन में आ जाना..
आ जाना...
      माँ के लाडले गणेश...

तेरी काया कंचन कंचन
किरणों का है जिसमें बसेरा,
तेरी सूंड सुंडाली मूरत
तेरी आँखों में खुशियों का डेरा।
तेरी महिमा अपरंपार
तुझको पूजे यह संसार..
प्रभु अमृत रस बरसा जाना..
आ जाना...
       माँ के लाडले गणेश...

प्रभु भजन तुम्हारे गाऐं
सबसे पहले हम तुमको मनाऐं,
धूप दीपों की ज्योति जलाऐं
मन मंदिर में झाँकी सजाऐं।
मेरे भोले भगवान
देदो भक्ति का दान..
प्रभु नैया पार लगा जाना..
आ जाना...
       माँ के लाडले गणेश...

मेरे विघन विनाशक देवा
सबसे पहले करें तेरी सेवा,
सारे जग में आनंद छाया
बोलो जय जय गजानन देवा।
बाजे सुर और ताल
तेरे गुण गाऐ संसार ..
घुंघरू की खनक खनका जाना..
आ जाना...
       माँ के लाडले गणेश... 

भजन धीरे धीरे

माँ निर्मल के गालो.. भजन धीरे धीरे..
मिटेगी हृदय की.. तपन धीरे धीरे...
        माँ निर्मल के गालो...

सहज-योग मंजिल.. नहीं कोई आसां..
सहज-योग मंजिल.. नहीं कोई आसां..,
उठेंगे तुम्हारे.. कदम धीरे धीरे...
         माँ निर्मल के गालो...

है वीरान कितना.. यह जीवन सहज बिन..
है वीरान कितना.. यह जीवन सहज बिन...,
खिलालो सहज का.. चमन धीरे धीरे...
        माँ निर्मल के गालो...

महा-मंत्र जपलो.. करो मात-वंदन..
महा-मंत्र जपलो.. करो मात-वंदन...,
आदि-शक्ति को करलो..
नमन धीरे धीरे...
        माँ निर्मल के गालो...

शुद्ध आत्मा से.. करो ध्यान-निर्मल..
शुद्ध आत्मा से.. करो ध्यान-निर्मल...,
श्रीमाता से होगा.. मिलन धीरे धीरे...
        माँ निर्मल के गालो... 

सहज की गंगा बहाते चलो

निर्मल-ज्योत जलाते चलो..
सहज की गंगा बहाते चलो।
मधुर सहज-वीणा बजाते हुए..
सोते हुओं को जगाते चलो।।
  सहज की गंगा बहाते चलो..

माँ शीतल हैं.. माँ निर्मल हैं..
श्री माँ हैं.. महामाया.. ।
आशीष उनके अनंत पाने को..
यह शीश हमने झुकाया।।

यह संदेश घर-घर सुनाते चलो..
  सहज की गंगा बहाते चलो..

निराकार ब्रह्म.. शूक्ष्म तत्व बन..
यत्र सर्वत्र समाया।
पूर्ण विश्व में.. सभी हैं अपने..
नहीं है कोई पराया।।

सहज मार्ग सबको दिखाते चलो..
  सहज की गंगा बहाते चलो..

समझ के चंदन.. व्यर्थ पतित कण..
जो तन-मन पे लगाते।
मोह-माया में फंसे रहें जो..
सुकर्म.. स्वधर्म भुलाते।।
उन सबको सहजी बनाते चलो..
  सहज की गंगा बहाते चलो..

निर्मल-ज्योत जलाते चलो..
  सहज की गंगा बहाते चलो.. 

ऐ माँ कृपानिधान

ऐ मेरी श्री निर्मल माँ
ऐ मेरी आदिशक्ति माँ
ऐ माँ कृपानिधान,
तुम ही मेरी शक्ति हो
तुम ही मेरी भक्ति हो
तुम ही मेरे प्राण।
             ऐ माँ कृपानिधान...

तुम ही बनके अश्विनी
धूप बिखराती हो माँ,
तुम ही शीतल चांदनी
रातों को महकाती हो माँ।
और तुम्हीं सपनों में आकर
दिल में मुस्काती हो माँ...
           ऐ माँ कृपानिधान...

तुम ही बनकर मेघ धरा पर वर्षा बरसाती हो माँ,
तुम ही हो अन्नपूर्णा
फसलों में लहराती हो माँ।
वृक्षों की हरियाली हो तुम
फूलों में खिल जाती हो माँ...
         हे माँ कृपानिधान...

तुम ही माँ शुरभित पवन
श्वासों को महकाती हो माँ,
जीवन में देतीं हर खुशी
दु:खों को हर लेती हो माँ।
जितने दैहिक रोग सबसे
मुक्त कर देती हो माँ...
           हे माँ कृपानिधान...

तुम ही आदिशक्ति बन
नव श्रृष्टि रचाती हो माँ,
और फिर नव प्राण बन
कण-कण में बस जाती हो माँ।
तुम ही श्रृष्टि का अन्त करतीं
प्रलय को ले आती हो माँ...
          हे माँ कृपानिधान...

तुममें सब देवता विराजे
तुम हो जीवन-शक्ति माँ,
तुम मुझे आत्म-शाक्षात्कार देदो
मोह-माया से विरक्ति माँ।
देदो ऐसी सहज-भक्ति
कि मिल जाऐ जन्मों से मुक्ति माँ...
             ऐ माँ कृपानिधान...

ऐ मेरी निर्मल माँ
ऐ मेरी आदिशक्ति माँ.... 

सहज का देदो दान मुझे

निर्मल माँ....मेरी निर्मल माँ
मेरी निर्मल माँ....

सहज का देदो दान मुझे
दो भक्ति का वरदान मुझे
मेरी निर्मल माँ....

तेरा ही गुणगान करूँ मैं
मान करूँ.... सम्मान करूँ मैं,
श्री चरणों में शीष झुकाकर
बारम्बार प्रणाम करूँ....
मेरी निर्मल माँ....

राग द्वेष से मुक्ति पाऊं
अपना जीवन सफल बनाऊं,
मन-मंदिर में तुझे बसाकर
हरदम तेरा ध्यान करूँ....
मेरी निर्मल माँ....

अपना सर्वस अर्पित कर दूं
तन-मन-धन समर्पित कर दूं,
अपने सच्चे अंतर्मन से
तेरी जय-जयकार करूँ....
मेरी निर्मल माँ....

निर्मल माँ....मेरी निर्मल माँ...