ऐ मेरी श्री निर्मल माँ
ऐ मेरी आदिशक्ति माँ
ऐ माँ कृपानिधान,
तुम ही मेरी शक्ति हो
तुम ही मेरी भक्ति हो
तुम ही मेरे प्राण।
ऐ माँ कृपानिधान...
तुम ही बनके अश्विनी
धूप बिखराती हो माँ,
तुम ही शीतल चांदनी
रातों को महकाती हो माँ।
और तुम्हीं सपनों में आकर
दिल में मुस्काती हो माँ...
ऐ माँ कृपानिधान...
तुम ही बनकर मेघ धरा पर वर्षा बरसाती हो माँ,
तुम ही हो अन्नपूर्णा
फसलों में लहराती हो माँ।
वृक्षों की हरियाली हो तुम
फूलों में खिल जाती हो माँ...
हे माँ कृपानिधान...
तुम ही माँ शुरभित पवन
श्वासों को महकाती हो माँ,
जीवन में देतीं हर खुशी
दु:खों को हर लेती हो माँ।
जितने दैहिक रोग सबसे
मुक्त कर देती हो माँ...
हे माँ कृपानिधान...
तुम ही आदिशक्ति बन
नव श्रृष्टि रचाती हो माँ,
और फिर नव प्राण बन
कण-कण में बस जाती हो माँ।
तुम ही श्रृष्टि का अन्त करतीं
प्रलय को ले आती हो माँ...
हे माँ कृपानिधान...
तुममें सब देवता विराजे
तुम हो जीवन-शक्ति माँ,
तुम मुझे आत्म-शाक्षात्कार देदो
मोह-माया से विरक्ति माँ।
देदो ऐसी सहज-भक्ति
कि मिल जाऐ जन्मों से मुक्ति माँ...
ऐ माँ कृपानिधान...
ऐ मेरी निर्मल माँ
ऐ मेरी आदिशक्ति माँ....
ऐ मेरी आदिशक्ति माँ
ऐ माँ कृपानिधान,
तुम ही मेरी शक्ति हो
तुम ही मेरी भक्ति हो
तुम ही मेरे प्राण।
ऐ माँ कृपानिधान...
तुम ही बनके अश्विनी
धूप बिखराती हो माँ,
तुम ही शीतल चांदनी
रातों को महकाती हो माँ।
और तुम्हीं सपनों में आकर
दिल में मुस्काती हो माँ...
ऐ माँ कृपानिधान...
तुम ही बनकर मेघ धरा पर वर्षा बरसाती हो माँ,
तुम ही हो अन्नपूर्णा
फसलों में लहराती हो माँ।
वृक्षों की हरियाली हो तुम
फूलों में खिल जाती हो माँ...
हे माँ कृपानिधान...
तुम ही माँ शुरभित पवन
श्वासों को महकाती हो माँ,
जीवन में देतीं हर खुशी
दु:खों को हर लेती हो माँ।
जितने दैहिक रोग सबसे
मुक्त कर देती हो माँ...
हे माँ कृपानिधान...
तुम ही आदिशक्ति बन
नव श्रृष्टि रचाती हो माँ,
और फिर नव प्राण बन
कण-कण में बस जाती हो माँ।
तुम ही श्रृष्टि का अन्त करतीं
प्रलय को ले आती हो माँ...
हे माँ कृपानिधान...
तुममें सब देवता विराजे
तुम हो जीवन-शक्ति माँ,
तुम मुझे आत्म-शाक्षात्कार देदो
मोह-माया से विरक्ति माँ।
देदो ऐसी सहज-भक्ति
कि मिल जाऐ जन्मों से मुक्ति माँ...
ऐ माँ कृपानिधान...
ऐ मेरी निर्मल माँ
ऐ मेरी आदिशक्ति माँ....
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