Tuesday, December 3, 2019

आरोही बन

व्यक्तित्व तेरा है निम्न क्यों
ए चरित्र तू आरोही बन
शिखर की ओर अग्रसर हो यूँ
न बाधा बने यह अवरोधी मन

अति स्मरणीय हो जीवन तेरा
हो आत्मा सा तू अजर अमर
इन्द्रियों पर हो संतोष का अंकुश
विरक्ति की पकडे तू जब डगर

सर्वस्व देने की हो क्षमता तुझमें
देवताओं सा तू क्षेम वरे
द्वेष, क्रोध, घृणा से हो अपरिचित
हर जीव से निरवाज्य प्रेम करे

आत्म साक्षात्कारी हो जीवन तेरा
एक मात्र लक्ष्य तेरा अध्यात्म हो
समर्पण की हो तीव्र इच्छा तुझमें
परमात्मा के प्रेम का तू माध्यम हो

सुषुम्ना तेरा मार्ग बने
आदिशक्ति जिसपर मार्ग-दर्शक हों
माँ निर्मल लिखें तेरा लेखा जोखा
माँ निर्मल ही तेरा शीर्षक हों

इस धरा से तू कर आरोहण
जब पहुंच जायेगा सहस्त्रार पर
दर्शन पायेगा आदिशक्ति के
सदाशिव का होगा वो शिखर

निरानंद जीवन यापन करेगा
विचार त्यजेगा बिना प्रयत्न
पायेगा स्थान जब माँ चरणों में
तभी होंगे सफल तेरे सब यत्न

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